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Litreture

“विश्व डाक दिवस” के अवसर पर: डाकिया डाक लाया

डाकिया बाबू ही वो कहलाता था, इस शब्द से तो हमारी जिंदगी का, नित-प्रति उठते-बैठते का नाता था, पोस्टमैन घर का ही एक हिस्सा था। अब पोस्ट मैन कभी कभी दिखता है, उसका काम तो मोबाइल ने पूरी तरह ख़त्म कर दिया है उसे भुलवा दिया है, उसका इंतज़ार ही ख़त्म कर दिया है। सबको […]

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Analysis Education

शिक्षक का सम्मान कहां?

अभिभावक, शिक्षक,सरकार सबके लिए प्रश्नचिन्ह अधिकांश प्राईवेट विद्यालय -महाविद्यालय धन उगाही मे लगे कोचिंग सेटर्स की लाखों मे है फीस बलराम कुमार मणि त्रिपाठी कोटा मे एक और युवा ने आत्महत्या की सुन कर विचलित होगया। समाचार मे आगे लिखा है,इसके पूर्व 25कर चुके हैं। बहुत ग्लानि हुई। शिक्षक मन व्यथित होकर इसका जवाब तलाशने […]

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