#Political History
Analysis
विश्वास-मत तो मिला था! पर किस कीमत पर?
के. विक्रम राव यह फसाना (दास्तां) है दो विश्वास मत वाले प्रस्तावों की। दोनों घटनाओं में पंद्रह साल का फासला है। महीना वही जुलाई (22 जुलाई 2008) का था। भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट एक साथ थे। निशाने पर थी सरदार मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार। उस पर एक नजर […]
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