relatives
Analysis
सपनों के सौदागर
जग नभ वाटिका रही है फल फूलि रे- तुलसीदास दिवास्वप्न मे बीत रहे रात और दिन गोस्वामी तुलसीदास ने छ: सौ साल पहले विनय पत्रिकामे लिखा..” जग नभ वाटिका रही है फल फूलि रे। धुंआ कैसे धौरिहरि देखि तू न भूलि रे।”.. विनय पत्रिका संसार ख्याली बगीचा है देखने मे बड़ा आकर्षक। पर यह ऐसे […]
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